Jehad ☪️ – Rishabh Bhatt | Cheekh

Battle Series Cover

Cheekh : Season–1

Middle Background

जेहाद ☪️
हंसती खेलती ज़िंदगी को, कुछ लोगों ने पल भर में बाट दिया, जेहाद की छुरी से, मेरे अपनों का गला काट दिया, इससे सिर्फ मेरे सपने ही न टूटें, भाईचारे की एक और डोरी टूट गई, ज़िन्दा लाशों को देख, आंखों से आंसू की मोती छूट गई, ये हक किस मस्जिद ने दिया? किस मौलवी ने पढ़ाया है? खुदा को मानता हूं मैं भी, पर क्या उसने इस कानून को बनाया है? क्या उसने दी है इसकी इजाज़त? खुशी की बस्ती समशान कर दो, किसी से छीनकर दिवाली, अपनी रौशन रमजान कर दो। नहीं, ये खुदा नहीं, पर किसने सिखाया है? जेहाद की ज़हरीली हवा फेफड़ों तक पहुंचाया है? जनेऊ और कुर्ते में फर्क बताके, ईद में गले और होली में खून बहाया है, ये दर्द बस आज का नहीं, सदियों से रहा है, चुप थे, तो अच्छे थे, बुरे बन गए गर कुछ आज कहा है, मैं हिन्दू हूं, मुसलमान मेरा साथी है, ये देश दीया है, तो हम तेल और बाती हैं, मगर उन जेहादियों से नफ़रत है मुझे, सब्र के बांध में बंधा हुआ सा सिंधू हूं, इस पल मैं राम की मर्यादा हूं, पर जान लो, परशुराम का भी हिंदू हूं, मेरे भाईयों मेरे साथ चलो, शर्मिंदगी के इन हदों को रोक देते हैं, खुदा को बदनाम करने वालों को, उन्हीं की आग में झोंक देते हैं, ईद के चांद और करवाचौथ के चांद, एक दूसरे से अलग कैसे हैं? कलेजे को फ़ाड़ अल्लाह कहने वालों, क्या कुरान-ए-पाक में शब्द ऐसे हैं? 🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿 ✒️ Poet in Hindi | English | Urdu 💼 Engineer by profession, Author by passion
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Rishabh Bhatt
कुछ आवाज़ें गले में ही घुट जाती हैं, कुछ आँसू इंसाफ़ की चौखट तक पहुँचने से पहले ही सूख जाते हैं। “चीख” उन ही आवाज़ों की गूंज है — जहाँ हर शब्द किसी ज़ख़्म का बयान है, और हर पंक्ति उस चुप्पी का प्रतिकार जो सदियों से समाज ने ओढ़ रखी है। मुझे आज भी याद है — दिसंबर 2021, कानपुर की एक बारात में देखा हुआ वो दृश्य, जहाँ एक बैंड वाले के साथ की गई बदतमीज़ी ने मेरे अंदर एक ऐसी टीस छोड़ी जो आज भी ज़ेहन में गूंजती है। उसी रात मैंने “ब्रासबैंड वाला” लिखा — और शायद वहीं से “चीख” की नींव रखी गई। ये सीरीज़ किसी एक घटना की नहीं, बल्कि उन हज़ारों अधूरी कहानियों की गूंज है जो हर समाज, हर शहर और हर घर की दीवारों में दबकर रह गईं। ये series उन दिलों के नाम है, जिन्हें ज़ुल्म, जबर्दस्ती, और अन्याय ने तोड़ा, पर उनकी रूह अब भी सच्चाई और इंसाफ़ के लिए चिल्ला रही है। ये सिर्फ़ एक लेखन नहीं — एक प्रतिज्ञा है कि अब कोई खामोश नहीं रहेगा। मैं Rishabh Bhatt, profession से engineer हूँ, पर दिल से एक poet और author। मेरी poetries Amar Ujala Kavya जैसे मंचों पर भी उपलब्ध हैं, और मेरी किताबें “Mera Pahla Junu Ishq Aakhri,” “Ye Aasma Tere Qadmon Me Hai,” “Unsaid Yet Felt” सहित कई और रचनाएँ Amazon, Flipkart, Notion Press, Pothi.com और दुनिया भर के सैकड़ों प्लेटफ़ॉर्म्स पर worldwide available हैं। 🌍📚 “चीख” उन लोगों के लिए है जिन्होंने सहा, और उन सबके लिए जो अब उठ खड़े हैं। ये series बताती है — कि जब शब्द चीख बन जाएं, तो खामोशी भी अदालत बन जाती है। — A Rishabh Bhatt’s Series, उन आवाज़ों के नाम, जो दबाई तो गईं, मगर कभी बुझी नहीं। 🕊️

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